Class 6 History Chapter 1 in Hindi

class 6 history chapter 1 in hindi
March 26, 2025

इस लेख मे class 6 history chapter 1 in hindi (एनसीईआरटी कक्षा 6 इतिहास अध्याय 1 क्या, कब, कहाँ और कैसे) के बारे मे बताया गया है| हमारे द्वारा कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान में इतिहास के सभी  पाठ के नोट्स दिए गए हैं, ताकि विद्यार्थी इसे आसानी से समझ सकें।

Table of Contents

NCERT Class 6 History मे प्राचीन भारतीय इतिहास के बारे मे बताया गया है| इसमें प्राचीन भारतीय इतिहास का वर्णन संक्षेप मे बताया गया है| इस पुस्तक में कुल दस अध्याय है और हमारे  द्वारा सभी पाठ के लिए नोट्स तैयार  किये गए है।

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Subject History
Book Name हमारे अतीत- 1
Class Class 6
Chapter Chapter 1
Chapter Name प्रारंभिक कथन: क्या, कब, कहाँ और कैसे?

पिछले अध्याय के बारे में :

ये अध्याय history class 6 का पहला अध्याय है  जिसमे प्राचीन भारत व इतिहास की एक रूपरेखा प्रस्तुत की गई है इसमें प्राचीन भारत का परिचय दिया गया है। 

विषयवस्तु

अध्याय 1: प्रारंभिक कथन: क्या, कब, कहाँ और कैसे? 

अध्याय 2 : आखेट – खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक

अध्याय 3: आरंभिक नगर

अध्याय 4: क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें

अध्याय 5: राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य

अध्याय 6: नए प्रश्न नए विचार

अध्याय 7: राज्य से साम्राज्य

अध्याय 8: गाँव, शहर और व्यापार

अध्याय 9: नए साम्राज्य और राज्य

अध्याय 10: इमारतें, चित्र तथा किताबें

Class 6 History Chapter 1 in Hindi Notes

अध्याय 1 

क्या, कब, कहाँ और कैसे

प्रस्तावना

इस अध्याय में प्राचीन भारत व इतिहास की एक रूपरेखा प्रस्तुत की गई है इसमें प्राचीन भारत का परिचय दिया गया है। इसमें कुछ ऐसे शब्दो का भी प्रयोग किया गया है जो इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

हम इतिहास क्यों पढ़ें?

इतिहास हमें यह बताता है कि आज की दुनिया कैसे विकसित हुई, यानी यह हमें वर्तमान मे  अतीत के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इतिहास हमें उस समय और संसार में ले जाती है, जब लोगों का जीवन हमारे आज के जीवन से अलग था। उस समय लोगों की अर्थव्यवस्था, समाज, मान्यताएँ, विश्वास, भोजन, कपड़े, घर और बस्तियाँ, कला और शिल्प सब कुछ आज से अलग थे।

इतिहास को पढ़कर हम यह समझ सकते हैं कि आधुनिक दुनिया आज जो है, वह कई सदियों से हो रहे बदलावों का परिणाम है। इतिहास हमें सिर्फ़ राजाओं और रानियों की विजयों और नीतियों के बारे में नहीं बताता, बल्कि शिकारियों, कृषकों, शिल्पकारों और व्यापारियों आदि आमजनों के जीवन के बारे मे भी जानकारी देता है।

अतीत के बारे में कैसे जान सकते हैं?

अतीत के बारे में जानने के लिए अब हमारे पास बहुत से श्रोत उपलब्ध हैं, जैसे पुरातात्विक उत्खनन, कार्बन डेटिंग, और इतिहास की पुस्तकों में दिए गए तथ्यों इत्यादि तथा इसकी मदद से हम विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जैसे कि लोग क्या खाते थे, कैसे कपड़े पहनते थे, और वे किस प्रकार के घरों में रहते थे। इन सभी के अलावा, हम शिकारियों, पशुपालकों, कृषकों, शासकों, व्यापारियों, पुरोहितों, शिल्पकारों, कलाकारों, संगीतकारों और वैज्ञानिकों के जीवन तथा उनकी जीवनशैली  के बारे में भी जान सकते हैं। जिससे की हम ये अनुमान भी लगा सकते है कि समय के साथ समाज में कैसे कैसे बदलाव आए|

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इसके बारे मे जानने के लिए दो महत्वपूर्ण श्रोत भी  है

(1) पाण्डुलिपि: यह पुस्तकें हाथ से लिखी जाती हैं, इसलिये इन्हें पाण्डुलिपि कहा जाता है। ये प्रायः ताड़पत्रों या हिमालय क्षेत्र में उगने वाले भूर्ज नामक पेड़ की छाल पर विशेष विधि से तैयार भोजपत्रों पर लिखी जाती थी। ज्यादातर  ये पाण्डुलिपियाँ मंदिरों और विहारों में पाई जाती हैं। इन पुस्तकों में धार्मिक विश्वासों और आचार-व्यवहार, राजाओं के जीवन, औषधियों तथा विज्ञान जैसे विभिन्न विषयों पर जानकारी मिलती है। कुछ पाण्डुलिपियाँ संस्कृत में लिखी होती हैं, जबकि अन्य प्राकृत( उपयोग सामान्य लोगों द्वारा) और तमिल भाषाओं में मिलती हैं।

(2) अभिलेख: यह ऐसे लेख होते थे जिन्हें पत्थर या धातु जैसी कठोर सतहों पर लिखवाया जाता था। शासक और अन्य लोग अपने आदेशों को इन पर लिखाते  थे, ताकि दूसरे लोग उन्हें देख सकें, पढ़ सकें और उनका पालन कर सकें। अभिलेखों में राजाओं-रानियों तथा अन्य लोगों के कार्यों और शासकों की विजयों के बारे मे भी बताया जाता था|

(3) पुरातात्विक साक्ष्य में पत्थर और ईंट से बनी इमारतों के अवशेष, मूर्तियों और चित्रों के अवशेष, और खुदाई से प्राप्त औजारों, हथियारों, बर्तनों, आभूषणों और सिक्कों के अवशेष शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त, जानवरों, पक्षियों और मछलियों की हड्डियों के अवशेष तथा जल चुके अनाज के दाने और लकड़ी के टुकड़े भी महत्वपूर्ण प्रमाण के रूप में पाए जाते हैं।

इतिहासकार (स्रोतों की सहायता से अतीत का अध्ययन करने वाला) पांडुलिपियों, अभिलेखों और पुरातत्व से प्राप्त जानकारियों के लिए अक्सर “स्रोत” शब्द का उपयोग करते हैं।

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अतीत एक या अधिक?

विभिन्न समूहों के लोगों के लिए अतीत के अलग-अलग अर्थ थे। उदाहरण स्वरूप, पशुपालकों और कृषकों का जीवन राजाओं और रानियों के जीवन से, और व्यापारियों का जीवन शिल्पकारों के जीवन से पूरी तरह अलग था।

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सभ्यता के आरम्भ में लोग कहाँ रहते थे?

सभ्यताओं के प्रारंभिक समय में लोग गुफाओं मे रहते थे। सभ्यताओ के विकसित होते के साथ ही  लोग समूहों में रहने लगे, और पानी की उपलब्धता के कारण लोग नदियों के किनारे रहने लगे थे। उस समय से लोग नर्मदा नदी के किनारे बसे हुए थे। यहां रहने वाले शुरुआती लोग कुशल संग्राहक थे, जो आसपास के जंगलों की समृद्धि से भली-भांति परिचित थे। वे अपनी भोजन की आवश्यकता के लिए जड़ें, फल और जंगल के अन्य उत्पाद इकट्ठा करते थे, और साथ ही जानवरों का शिकार भी करते थे। इन प्राचीन सभ्यताओं में सिन्धु की सभ्यता, बेबीलोन और मेसोपोटामिया की सभ्यताएं प्रसिद्ध रही हैं।

उत्तर-पश्चिम की सुलेमान और किरथर पहाड़ियों पर लगभग आठ हज़ार वर्ष पहले लोगों ने गेहूँ और जौ जैसी फसलों की खेती शुरू की और भेड़, बकरी तथा गाय-बैल जैसे पशुओं को पालतू बनाया।

उत्तर-पूर्व में गारो और मध्य भारत में स्थित विंध्य पहाड़ियों पर कृषि का विकास हुआ, और विंध्य पर्वत के उत्तर में सबसे पहले चावल की खेती की गई।

सिंधु और उसकी सहायक नदियों के किनारे लगभग 4700 वर्ष पहले कुछ प्रारंभिक नगरों का विकास हुआ।

गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे लगभग 2500 वर्ष पहले इन नदियों के आसपास और समुद्र तटीय क्षेत्रों में नगरों का निर्माण हुआ था।

गंगा और इसके दक्षिण में सहायक नदी सोन के आस पास के क्षेत्र को प्राचीन काल में ‘मगध’ कहा जाता था। इसके शासक बहुत शक्तिशाली थे और उन्होंने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी।

दक्षिण एशिया (आधुनिक भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका) एक महाद्वीप से छोटा लेकिन विशालता तथा बाकी एशिया से समुन्द्रों, पहाड़ियों तथा पर्वतों से बँटे होने के कारण इसे प्राय: उपमहाद्वीप कहा जाता है।

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देश के नाम का इतिहास

‘इण्डिया’ शब्द इण्डस नदी से लिया गया है, जिसे संस्कृत में सिंधु कहा जाता है। ईरानियों और यूनानियों ने सिंधु को हिन्दोस और इंदोस कहा, और इस नदी के पूर्व स्थित भू-भाग को इण्डिया नाम दिया। जिस कारण बाद मे भारत का नाम इंडिया पर गया|

‘भरत’ (उत्तर-पश्चिम में रहने वाले लोगों का एक समूह) जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। बाद में इसका प्रयोग देश के लिए होने लगा।

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सिन्धु तथा इसकी सहायक नदियाँ कौन सी हैं?

सिन्धु नदी सात नदियों का संगम है, जिनमें सतलज, व्यास, रावी, चिनाब, झेलम और काबुल नदियाँ शामिल हैं। काबुल नदी को छोड़कर बाकी सभी नदियाँ भारत से होकर पाकिस्तान में प्रवेश करती हैं, जबकि काबुल नदी अफगानिस्तान से आती है।

लोग यात्राएँ क्यों करते हैं?

सभ्यताओं का विकास कुछ विशेष स्थानों पर हुआ, लेकिन समय के साथ लोग धीरे-धीरे लोग अलग-अलग स्थानों पर रहने लगे। हालांकि प्रारंभ में आने जाने के साधन बहुत सीमित  थे फिर भी, जो लोग ऐसा करना चाहते थे, वे पर्वतों की ऊँचाई तक पहुँचने और गहरे समुद्रों को पार करने में सफल हुए। इसके पीछे कई कारण थे, जैसे मानव की जिज्ञासा, भोजन की तलाश और समय के साथ व्यापार की संभावनाएँ तथा भ्रमण करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे।

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तिथियों का क्या मतलब है?

हमारी सभ्यता का इतिहास बहुत प्राचीन है, हालांकि सतयुग और त्रेतायुग के प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं, फिर भी द्वापर के अंतिम काल से लेकर अब तक के प्रमाण मौजूद हैं। आजकल तिथियों की गणना विक्रम संवत, ईसवी संवत आदि के आधार पर की जाती है। यदि कोई तुमसे तिथि के बारे में पूछे, तो तुम शायद उस दिन की तारीख, माह, और वर्ष जैसे कि 2000 या कोई अन्य वर्ष बताओगे। यह वर्ष गणना ईसा मसीह के जन्म की तिथि से की जाती है, मतलब 2000 वर्ष का अर्थ ईसा मसीह के जन्म के 2000 साल बाद होता है। ईसा मसीह के जन्म से पहले की सभी तिथियाँ ई.पू. (ईसा से पहले) के रूप में मानी जाती हैं। इस पुस्तक में, हम 2000 को एक प्रारंभिक बिंदु(base)  मानते हुए, वर्तमान से पहले की तिथियों का उल्लेख करते हैं।

ई.पू. का अर्थ ‘ईसा पूर्व’ है, जबकि ए.डी. का अर्थ ‘एनो डॉमिनी’ है।

सी.ई. का अर्थ ‘कॉमन एरा’ है।

बी.सी.ई. का अर्थ ‘बिफोर कॉमन एरा‘ है।

बी.पी. का अर्थ ‘बिफोर प्रेजेंट’ है।

कभी-कभी ए.डी. के स्थान पर सी.ई. और बी.सी. के स्थान पर बी.सी.ई. का उपयोग किया जाता है।

कुछ प्रमुख तिथियाँ
कृषि का प्रारंभ (8000 वर्ष पूर्व)
सिंधु सभ्यता के पहले नगर (4700 वर्ष पूर्व)
• गंगा घाटी के नगर, मगध का समृद्ध राज्य (2500 वर्ष पूर्व)
वर्तमान काल (लगभग 2000 वर्ष पूर्व)

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अगला अध्याय 2

इस अध्याय में मुख्य रूप से पाषाणकाल के बारे में बताया गया है जिसमे ये चर्चा की गई है कि उस समय के मानव ने कैसे तत्कालीन परिस्थितियों में अपने आप को ढाला था।

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FAQ

प्रश्‍न 1: इतिहास क्या है?

उत्तर: इतिहास अतीत का अध्ययन है। यह हमें बताता है कि पहले लोग कैसे रहते थे, वो क्या करते थे, और समय के साथ उन्मे कैसे बदलाव आए।

प्रश्‍न 2: पुरातत्वविद कौन होते हैं?

उत्तर: पुरातत्वविद वे लोग होते हैं जो अतीत की भौतिक वस्तुओ(जैसे कि इमारतें, उपकरण, बर्तन, सिक्के, आदि) का अध्ययन करते हैं।

प्रश्‍न 3: पांडुलिपि और अभिलेख में क्या अंतर है?

उत्तर: पांडुलिपि एक हाथ से लिखी हुई प्राचीन पुस्तक या दस्तावेज़ होती है, जो अक्सर ताड़ के पत्तों या छाल पर लिखी जाती थी। वहीं, अभिलेख वे लेखन होते हैं जो पत्थर या धातु जैसी कठोर सतहों पर बनवाए जाते थे।

प्रश्‍न 4: इतिहासकार कौन होते हैं?

उत्तर: इतिहासकार वे लोग होते हैं जो अतीत का अध्ययन करते हैं और ऐतिहासिक स्रोतों (जैसे पांडुलिपियां, अभिलेख, पुरातत्व सामग्री, आदि) का विश्लेषण करके अतीत के बारे में जाननेन का प्रयास करते हैं।

प्रश्‍न 5: प्राचीन काल में लोग यात्रा क्यों करते थे?

उत्तर: प्राचीन काल में लोग विभिन्न कारणों से यात्रा करते थे। इनमें मुख्य कारण भोजन और आश्रय की तलाश था, खासकर सूखे या अन्य आपदाओं के कारण। इसके अलावा, व्यापार भी एक महत्वपूर्ण कारण था, धर्म भी एक बड़ा कारण था, क्योंकि लोग तीर्थ यात्राओं पर जाते थे। विजय की इच्छा भी लोगों को यात्रा पर प्रेरित करती थी, ताकि वे अन्य क्षेत्रों पर अधिकार कर सकें और अपने राज्य का विस्तार कर सकें। इसके अलावा, जिज्ञासा भी एक कारण थी, जिससे लोग नई जगहों को देखने और नई चीजों को सीखने के लिए यात्रा करते थे।

प्रश्‍न 6: अतीत के बारे में जानकारी प्राप्त करने के मुख्य स्रोत क्या हैं?

उत्तर: अतीत के बारे में जानकारी प्राप्त करने के कई स्रोत होते हैं, जैसे पांडुलिपियां, अभिलेख, पुरातत्व, साहित्य और यात्रा वृत्तांत। पांडुलिपियां और अभिलेख प्राचीन दस्तावेज़ों और शिलालेखों के रूप में होते हैं, जो इतिहास को दर्शाते हैं। पुरातत्व खुदाई से प्राप्त कलाकृतियों के माध्यम से प्राचीन सभ्यताओं की जानकारी प्रदान करता है। साहित्य और यात्रा वृत्तांत प्राचीन जीवनशैली और संस्कृतियों का परिचय देते हैं, जिससे हम अतीत को समझ सकते हैं।

प्रश्‍न 7: ‘इंडिया’ शब्द कहाँ से आया?

उत्तर: ‘इंडिया’ शब्द ‘इंडस’ से आया है, जिसे संस्कृत में ‘सिंधु’ कहा जाता है। ईरानी और यूनानी लोग जो उत्तर-पश्चिम से भारत आए थे, सिंधु नदी को जानते  थे और उन्होंने इसे ‘इंडस’ कहा। इसी के नाम से यह भूमि ‘इंडिया’ कहलाई।

प्रश्‍न 8: BC और AD का क्या मतलब है?

BC का मतलब है ईसा मसीह के जन्म से पहले के वर्ष, जबकि AD का अर्थ लैटिन शब्द “Anno Domini” से है, जिसका मतलब है “हमारे प्रभु के वर्ष में,” और यह ईसा मसीह के जन्म के बाद के वर्षों को दर्शाता है। वर्तमान समय में, AD के स्थान पर CE (Common Era) और BC के स्थान पर BCE (Before Common Era) का प्रयोग भी किया जाता है|

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